
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। पहले 5 साल सिपाही उसके बाद बन गया दरोगा : उसके बाद करने लगाया काम।।
कानपुर, 28 अगस्त 2025 ।। फिल्मी कहानियों में अक्सर नकली पुलिस बनकर लोगों को ठगने वाले किरदार दिखते हैं, लेकिन कानपुर और कौशांबी में ऐसा मामला असलियत में सामने आया है। आजाद सिंह जादौन नाम का युवक पूरे 10 साल तक पुलिस की वर्दी पहनकर पहले सिपाही और फिर दरोगा बनने का नाटक करता रहा। इस दौरान उसने न सिर्फ गांववालों और आम जनता को ठगा, बल्कि अपने ससुराल और पत्नी तक को अंधेरे में रखा।
💫कैसे शुरू हुआ नाटक—
साल 2015 में आजाद ने खुद को सिपाही घोषित किया। उसने थाने के पास एक कमरा किराए पर लिया और रोज वर्दी पहनकर निकलता। धीरे-धीरे लोग उसे असली पुलिसकर्मी मानने लगे। दबंगई और छोटी-मोटी ठगी से उसने अपनी पहचान मजबूत कर ली।
फिर 2020 में उसने खुद को ‘दरोगा’ घोषित कर दिया। नई वर्दी, बैज और पुलिसिया ठसक के साथ उसने लोगों को विश्वास दिला दिया कि उसका प्रमोशन हो चुका है। इसके बाद उसने गाड़ियों से वसूली और पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों की ठगी करनी शुरू कर दी।
💫शादी भी फर्जी रुतबे पर—
सजेती के अमोली गांव के जयवीर सिंह ने 2019 में अपनी बेटी सुजाता की शादी आजाद से कर दी। पूरा परिवार यह मान बैठा कि उनकी बेटी एक पुलिस अफसर की पत्नी बनी है। शादी के बाद भी आजाद ने “स्पेशल जांच पर हूं, थाने पर नहीं बैठता” कहकर सबको गुमराह किया। पत्नी तक को शक नहीं हुआ।
💫साला भी बना साझेदार—
आजाद ने अपने साले सौरभ सिंह को भी इस फर्जी खेल में शामिल कर लिया। दोनों साथ मिलकर सड़कों पर गाड़ियां रोकते, वसूली करते और खुद को पुलिस टीम बताते। गांव में उनकी इतनी धाक बैठ गई कि लोग सलाम ठोकने लगे।
💫सच कैसे सामने आया—
हाल ही में सजेती में चोरी की वारदात की जांच के दौरान थानेदार अवधेश सिंह को लोगों ने बताया कि इलाके में एक ‘दरोगा’ घूम-घूमकर वसूली करता है। जांच करने पर पुलिस को पता चला कि रिकार्ड में उस नाम का कोई दरोगा है ही नहीं।
आजाद को चौकी बुलाया गया। वह बाकायदा वर्दी पहनकर साले के साथ पहुंचा। लेकिन पूछताछ में उसकी पोल खुल गई। घर की तलाशी में नकली वर्दियां, बेल्ट और पुलिस संबंधी सामान बरामद हुआ।
💫गिरफ्तारी और खुलासा—
आजाद और उसके साले सौरभ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सामने आया कि वह 2015 से फर्जी सिपाही और 2020 से फर्जी दरोगा बनकर लोगों को ठग रहा था। थानेदार अवधेश सिंह के मुताबिक, उसकी सबसे बड़ी चाल यही थी कि वह कभी थाने पर नहीं बैठता था और “स्पेशल जांच पर हूं” कहकर सबको भ्रमित करता रहा।
💫ससुराल और गांव की हैरानी—
सच उजागर होने के बाद सुजाता के पिता जयवीर सिंह ने कहा – “हमें गर्व था कि बेटी दरोगा के घर गई है। अब लगता है कि हम सबसे बड़े धोखे में रहे।”
गांव के लोग भी हैरान हैं और मान रहे हैं कि सिर्फ वर्दी देखकर उन्होंने भरोसा कर लिया, किसी ने कभी असली पहचान या कागज देखने की जरूरत ही नहीं समझी।